फोकट का सामन है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !
खुली हुई दूकान है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !!
ना इसमें कोई मिर्च है , ना है कोई मसाला ,
ना अखछर की पहचान है इसमें !
ना शब्दों की वर्ण माला ,
बिखरा हुआ सामन है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !!
गुमसुम गुमसुम चुप बैठा है ,
कोई नहीं है सुनने वाला !
कूड़ा करकट दान है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !!
सोने की चिड़िया के तुमने ,
पर क़तर डालें है ,
भारत का तुम भोग हो करते ,
और नेता कहलाते हो ,
काब तक लूटोगे देश को ,
मेरा कहा अब मान लो ,
पूरा पाकिस्तान पड़ा है ,
लूट सको तो लूट लो ......
6 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने,
धन्यवाद
बहुत खूब अनवर भइया!
पहले तो धन्यवाद अनवर भाई...सुकवि बुधराम यादव और मेरी और से.
आपकी रचना....सामयिक और उद्वेलित करने वाली है..
अनवरत रहें..
सोने की चिड़िया के तुमने ,
पर क़तर डालें है ,
भारत का तुम भोग हो करते ,
और नेता कहलाते हो ,
bahut chse se pesh kiya hai.....
umda
" great to read"
Regards
गुमसुम गुमसुम चुप बैठा है ,
कोई नहीं है सुनने वाला !
कूड़ा करकट दान है भैय्या ,
लूट सको तो लूट लो !!
बहुत खूब लिखते हो अनवर मियां ! लिखते रहो खूब जमोगे !
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